Sunday, June 19, 2011

बापू आज होते तो वो भी सत्याग्रह करने से डरते

लोकपाल , अन्ना साहब और बाबा से पटे परे खबरों से अब जी उब गया है ...कही से यह पता नहीं चलता की मीडिया लोकपाल और कला धन के पक्ष में है या विपक्ष या हो सकता है मै अभी पक्ष या विपक्ष को विश्लेषण करने के स्थिति में न पाऊं और उतनी मेरी पहुच भी न हो.
हो कुछ भी मगर सरकार लोकपाल और काला धन के मुद्दे पर पीछे क्यों हट रही है मेरे समझ से परे है. अगर आप किसी तरह किसी भी प्रकार के भर्ष्टाचार में लिप्त नहीं हैं तो फिर इस तरह के क़ानून से डरने की क्या जरूरत .
मै यह अपने आँखों देखि बात बता रहा हूँ की एक आदमी जिसके पास सुबह का खाना हो तो रात के लिए सोचने की नौबत थी २ बार विधायक होने के बाद आज वह २०० कड़ोर की सम्पति से अधिक का स्वामी है और अराजक भी
तो क्या इनको बचने के लिए सरकार लोकपल के विरोध में है.
चाहे जो भी आम आदमी हमेशा अपने २ समय की रोटी और इज्ज़त के लिए परेशान रहा है और आजकल के कुछ घटनाओ पर जब नजर परता है तो आम जन इससे भी वंचित नजर आते है . तब जेहन में यह बात उभरता है की क्या इनके लिए कोई न्याय प्रणाली नहीं है. आज जरुरत है किसी ऐसे कानून की जो आम आदमी को २ समय का भोजन दिला सके, क्या है कोई ऐसा कानून !!!!
आज जब बाबा केसत्यग्रह के रात की बातें सामने आती है तो डर लगता है की वह कौन सी जरूरत आ पारी थी की रात में ही रामलीला मैदान खली करना जरुरी हो गया था हमारे दिल्ली प्रशाशन के लिये, बाबा को तो प्रशाशन हरिद्वार पंहुचा दी लेकिन जरा उस महिला को देखिये जो आज तक अपने मौत से लड़ रही है क्या है कोई कानून जो उसे वापस उस स्थिति में ला दे.
गौर करने वाली बात यह है की बापू के जिस सत्याग्रह से हमें आजादी मिली हमारी सरकार ही उस तरह के सत्याग्रह के दमन करने जैसा कुकृत्य किया है ...क्या इन्हें शर्म भी नहीं आया ऐसा करने में ????
चाहे जो भी हो मै मानता हूँ की कला धन वापस आये या न आये मगर हम आम जनता के पास जो मौलिक अधिकार है उसका कम से कम हनन न हो .....

1 comment:

  1. Thats true!
    Truly speaking, i don't trust anyone in this field of politics. I do feel that Anna Hazare is doing good, but i suspect him too. And as about Baba Ramdev, i don't trust him at all. I see him as a man who supported Anna Hazare just for fame. He could have supported the guy who died in the same hospital after fasting for some months.

    A baba, who wore ladies suit to hide himself from being abducted!!! I am sure the volunteers for SATYAGRAHA don't do this!

    As they say, out of a good and a bad, its easy to make a choice. But in the world of politics, its very tough to choose the best from all bad ones.

    And its good you mentioned the lady here. She took (and still is in) much more pain than the Baba ofcourse but is being paid so less attention.

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