Friday, April 6, 2012

काश हम समझ पाते...

आज हर जगह एक ही चर्चा हो रही है ...विडम्बना तो यह है की वो हमारे उस नस के विषय में बताने की बातें है जो कही न कही हमारे अश्मिता से जुडी हैं. मै ऐसा नहीं कहता की ये नहीं होनी चाहिए,यह आवश्यक भी है किन्तु बचपन से सुनता आ रहा हूँ की अपनी समाश्या अपने घर में मिल बैठ कर सुलझा लेना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए..ऐसा न हो की सुलगती आग में कही बहार का ऐसा हवा का झोका आये जो हमारी सारे सम्भावनाओ को ही समाप्त कर दे.
सारे समाचार पत्र, पत्रिका, यहाँ तक की न्यूज चैनल भी रक्षा से जूरी तमाम खुलाशे कर रहे हैं .क्या यह तर्क सांगत लगरहा है आपको ...कल रात मै इसी तरह तमाम न्यूज चैनलस को देख रहा था ..सुनने में तो काफी दिलचस्प बातें बताई जा रही थी जो शायद आम आदमी के जानकारी से परे थी पर एक अनदेखा डर भी पीछा करता नजर आया की क्या कोई इसका फायदा तो नहीं उठा सकता है.....हम अक्सर ही अपनी प्राथमिकताओ को भूल कर दुसरे की गलतियों को ऊपर दिखाने की चेष्टा करते रहते हैं...ऐसा क्यों शायद यह बताने की जरुरत नहीं है....
बेशक हमारे यहाँ हर तरफ भ्रष्टाचार का बोल बाला हो गया है किन्तु हमे मिलबैठ कर इसका निदान ढूँढना चाहिए और रही आम आदमी को बताने की बात तो ऐसा प्रबंध होना चाहिय की कुछ खबर केवल और केवल देश के सीमा के भीतर ही प्रसारित हो ...ऐसा हो सकता है की हमारे सुजाव से कुछ खाश वर्ग सहमत न हो लेकिन यह मेरा व्यक्तिगत सोच है .

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